मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में नित्य प्रतिदिन क्लेरिकल मिस्टेक को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। अब ताजा मामला दो लिपिकों के बीच झगड़े का कारण बन गया है। निर्माण लिपिक और लेखा लिपिक ईओ की गाड़ी के माहवार भुगतान की पत्रावली को लेकर आमने सामने आ गये। दोनों के बीच जमकर नोंकझौंक हुई और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी। मामला गाड़ी के भुगतान की स्वीकृति के लिए क्लेरिकल मिस्टेक का निकला। 25 हजार के तय भुगतान को पत्रावली में 02 लाख 50 हजार का भुगतान बना दिया गया था। इसमें एक जीरो बढ़ाने का खेल जानबूझकर हुआ या वाकई ये त्रुटिवश हो गया, ये तो ईश्वर ही जाने, लेकिन इस मामले में अब शिकायत चेयरपर्सन और ईओ तक पहुंच गई है तो पालिका में भी चर्चाओं का दौर गरम हो गया है।
नगरपालिका परिषद् में अधिशासी अधिकारी के लिए किराये पर गाड़ी ली गई है। इसके लिए बोर्ड ने डीजल के साथ ही 25 हजार रुपये माहवार का भुगतान तय किया गया है। बोर्ड प्रस्ताव पारित होने के कारण गाड़ी के लिए सीधे 25 हजार रुपये का भुगतान करने की ही विभागीय स्वीकृति है। इसमें जीएसटी को नहीं जोड़ा गया है। सूत्रों के अनुसार निर्माण विभाग के लिपिक मैनपाल सिंह के द्वारा ईओ की गाड़ी के भुगतान के लिए पत्रावली को विभागीय स्वीकृति के उपरांत लेखा विभाग को प्रेषित कर दी गई थी। लेखा लिपिक गगन महेन्द्रा ने भुगतान आदेश बनाने के लिए इस पत्रावली का परीक्षण किया तो भुगतान स्वीकृति में भारी गलती देखकर वो भौचक्क रह गये।
बताया गया कि 25 हजार रुपये का भुगतान होना था, लेकिन निर्माण विभाग से 02 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान आदेश लेखा विभाग को जारी किया गया। इस गलती को निर्माण विभाग के विभागध्यक्ष और लिपिक किसी ने भी नहीं पकड़ा, जबकि स्वीकृति पर उनके हस्ताक्षर हैं। इस बड़ी गलती के कारण लेखा लिपिक गगन ने इस सम्बंध में निर्माण विभाग में जाकर विभागीय लिपिक मैनपाल से पूछताछ की और अपनी नाराजगी भी व्यक्त की। बताया गया कि गगन महेन्द्रा ने केवल 25 हजार के भुगतान के लिए 02 लाख 50 हजार रुपये की स्वीकृति बनाने की बात कही तो निर्माण लिपिक मैनपाल ने इसको क्लेरिकल मिस्टेक बताकर पल्ला झाड़ लिया। इसी दौरान दोनों के बीच तीखी बहसबाजी शुरू हो गई और खूब नोंकझौंक होने के साथ ही मामला हाथापाई तक पहुंच गया।
बताया गया कि इसी को लेकर निर्माण विभाग के एक दूसरे चर्चित लिपिक ने भी लेखा लिपिक पर नियम के खिलाफ भुगतान करने का दबाव बनाया। कहा गया कि 25 हजार के भुगतान के लिए निर्माण लिपिक ने जीएसटी की राशि भी जोड़कर भुगतान का चेक बनाने के लिए कहा था, जिस कारण दोनों में झगड़ा हुआ। जबकि बोर्ड प्रस्ताव में जीएसटी देने का कोई भी बिन्दू शामिल नहीं है। इसके बावजूद भी निर्माण विभाग के दो लिपिकों ने लेखा लिपिक गगन पर दबाव बनाया। झगड़ा बड़ा तो चर्चित लिपिक वहां से खिसक गया। ये मामला पालिका में चर्चाओं का कारण बना हुआ है। प्रकरण में चेयरपर्सन और ईओ को भी शिकायत किये जाने की बात सामने आई है।