मुजफ्फरनगर। नमामि गंगे योजना में काली नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम के लिए 91 करोड़ रुपये के खर्च पर बनाया गया एसटीपी केवल सफेद हाथी ही बना हुआ है। यह प्लांट जल शोधन के उद्देश्य को पूरा न कर शो पीस बनकर व्यवस्था का मंुह चिढ़ा रहा है। इसका खुलासा उस समय हुआ, जबकि खुद जिलाधिकारी एसटीपी के संचालन और इसके तहत हो रहे जल शोधन की हकीकत को जानने के लिए अफसरों को साथ लेकर फील्ड में उतरे। प्लांट पर पहुंचकर गहन निरीक्षण हुआ तो पता चला कि एसटीपी मात्र 14 प्रतिशत क्षमता से ही काम कर रहा है और शहर के दो नालों को सीवेज सीधा काली नदी में जा रहा है। इससे नाराज डीएम ने कार्यदायी संस्था यूपी जल निगम के एक्सईएन और ठेकेदार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। साथ ही शोधित जल को भी सीधे काली नदी में न छोड़ते हुए सिंचाई में प्रयोग करने पर जोर दिया।
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने गुरूवार को शहर के किदवईनगर में 91 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित 32.5 एमएलडी क्षमता के एस.बी.आर. तकनीक पर आधारित नवीन एसटीपी का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नगर मजिस्ट्रेट, अधिशासी अधिकारी नगरपालिका परिषद, यूपी जल निगम एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी उपस्थित रहे। वर्तमान में इस एसटीपी का संचालन यूपी जल निगम द्वारा किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान एसटीपी की इकाईयां मात्र आंशिक रूप से संचालित पायी गयी।
एसटीपी से नहीं जुड़ पाये दो बड़े सीवेज ड्रेन
निरीक्षण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि एसटीपी में शहर के 04 प्रमुख नालों में जनित सीवेज का शुद्धिकरण किया जाना प्रस्तावित है, परन्तु वर्तमान में मात्र 02 नालों को ही एसटीपी से जोड़ा गया है, जिससे वर्तमान में एसटीपी में सीवेज का कुल फ्लो 4.5 एमएलडी ही शुद्धिकृत किया जा रहा है, शेष 28 एमएलडी का फ्लो शेष 02 नालों के माध्यम से एसटीपी में शुद्धिकृत किया जाना है, परन्तु दोनों ड्रेन, जिनमें खादरवाला ड्रेन एवं कृष्णापुरी ड्रेन शामिल हैं, एसटीपी से टैप नहीं की गयी है।
इसके चलते वर्तमान में एसटीपी मात्र 14 प्रतिशत क्षमता पर ही संचालित किया जा रहा है, जिस कारण एसटीपी की समस्त इकाईयां भी पूर्णरूपेण स्थिर नहीं हो पायी हैं। एसटीपी में सीवेज के शुद्धिकरण के उपरान्त आंशिक रूप से शुद्धिकृत सीवेज/अशुद्धिकृत सीवेज नाले के माध्यम से काली नदी पश्चिमी में निस्तारित हो रहा है, जो कि जल प्रदूषण अधिनियम का उल्लंघन है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निस्तारित किये जा रहे जल का नमूना भी एकत्रित किया गया, जिसको प्रयोगशाला में जमा कराया गया है।
जून 2023 तक किया जाना था शत प्रतिशत संचालन
उन्होंने बताया कि जल निगम द्वारा दिये गये प्रस्ताव के अनुसार इस एसटीपी का निर्माण एवं शत प्रतिशत संचालन जून 2023 तक किया जाना था, परन्तु वर्तमान तक भी एसटीपी को पूर्ण रूप से संचालित नहीं किया गया है। यहां पर मिली इन खामियों को ले कर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा द्वारा असंतोष व्यक्त करते हुए जल निगम के अधिकारियों को तत्काल पाई गई कमियों का निराकरण किये जाने तथा एसटीपी के सतत् संचालन हेतु निर्देश दिये गये तथा यूपी जल निगम के एक्सईएन संजय कटियार एवं सम्बन्धित ठेकेदार से इसके लिए स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

यहां डीएम द्वारा एसटीपी के संचालन हेतु अधिकृत एजेन्सी को यह भी निर्देश दिये गये कि एसटीपी से शुद्धिकृत हो रहे सीवेज को नदी में निस्तारित न करते हुए विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे टैंकर द्वारा डस्ट सप्रेशन हेतु वाटर स्प्रिंकलिंग, सिंचाई, निर्माण परियोजनाओं में उपयोग आदि में ही प्रयोग किया जाये एवं मात्र आवश्यकता पड़ने पर ही नदी में निस्तारित किया जाये। निरीक्षण के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप, पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह, एक्सईएन जल निगम संजय कटियार, पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह के अलावा सम्बंधित विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
लीगेसी वेस्ट को लेकर भी डीएम ने ली जानकारी
एसटीपी के निरीक्षण के साथ ही जिलाधिकारी उमेश मिश्र द्वारा एसटीपी के आसपास पालिका के एटूजेड प्लांट पर लीगेसी वेस्ट और गन्दगी को लेकर पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह को निर्देशित किया गया। वहीं प्लांट तक पीडब्ल्यूडी द्वारा तैयार की जा रही सड़क का भी निरीक्षण करते हुए उसकी गुणवत्ता को परखने का काम किया। ईओ ने डीएम को बताया कि लीगेसी वेस्ट का निस्तारण करने के लिए पालिका स्तर पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके लिए सड़क निर्माण का इंतजार है।
डीएम ने जांच के लिए बनाई तीन सदस्यीय समिति
मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्र ने गुरूवार को एसटीपी का संचालन करते हुए यहां पाई गई खामियों को लेकर जांच भी बैठा दी है। उनके द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति से सभी बिन्दुओं पर जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। ज्ञात रहे कि विगत दिवस सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलाधिकारियों के साथ वीसी करते हुए खासतौर पर नमामि गंगे योजना में चल रहे प्रोजेक्ट और नदियों के शुद्धिकरण पर जोर दिया था। इसके लिए उन्होंने खुद जिलाधिकारियों को फील्ड में उतरकर निरीक्षण करते हुए परियोजनाओं को परखने पर जोर दिया था। इसी कड़ी में गुरूवार को डीएम उमेश मिश्र ने एसटीपी का औचक निरीक्षण किया। डीएम ने बताया कि एसटीपी पूरी क्षमता के साथ संचालित नहीं पाया गया है, इसके साथ ही अनेक खामियां मिली हैं। जल भी शोधित नहीं मिला। सैम्पलिंग कराई गई है। ऐसे में एसटीपी के निर्माण से संचालन तक सभी बिन्दुओं पर जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई है। इसमें सिटी मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी है, उनके साथ पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह और पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह भी शामिल हैं। रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जायेगी।