मुजफ्फरनगर। मीरापुर उपचुनाव के लिए राष्ट्रीय लोक दल ने पूर्व विधायक मिथलेश पाल को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। मिथलेश पाल इस क्षेत्र से पहले भी रालोद प्रत्याशी के रूप में ही विधायक चुनी जा चुकी हैं। यह संयोग ही है कि वो भी उपचुनाव ही था।
मिथलेश पाल को जनपद में पिछड़े वर्ग समाज का एक प्रतिष्ठित नेता माना जाता है। वर्तमान में मिथलेश पाल भाजपा की वरिष्ठ नेत्री हैं। साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी मिथलेश पाल ने सदर और मीरापुर विधानसभा सीटों से भाजपा प्रत्याशी के रूप में पार्टी शीर्ष नेतृत्व के समक्ष दावेदारी पेश की थी, लेकिन उनको टिकट नहीं मिल पाया था। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई मीरापुर विधानसभा सीट पर मिथलेश पाल लगातार भाजपा से दावेदारी करती चली आ रही हैं। उनका नाम राजग गठबंधन में टिकट के दावेदारी में आगे चल रहा था। वहीं भाजपा शीर्ष नेतृत्व की चेहरा हमारा, निशान तुम्हारा की सियासी रणनीति के तहत भी भाजपा की ओर से पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों पूर्व सांसद राजपाल सैनी और पूर्व विधायक मिथलेश पाल के नाम ही रालोद अध्यक्ष केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी को सुझाये गये थे।
श्रीमती मिथलेश पाल जी को मीरापुर से प्रत्याशी बनाए जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं!
आपका नेतृत्व मीरापुर के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। आपकी कर्मठता और निष्ठा क्षेत्र को नई दिशा और प्रगति की राह पर अग्रसर करेगी।#MeerapurByelection pic.twitter.com/nWzW5t6LJS
— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) October 24, 2024
भाजपा लगातार यही दबाव बनाये हुए थी कि मीरापुर उपचुनाव में निशान रालोद का ही रहेगा, लेकिन प्रत्याशी भाजपा खेमे से आयेगा। हालांकि पूर्व सांसद राजपाल सैनी और पूर्व विधायक मिथलेश पाल, दोनों ही रालोद में भी रह चुके हैं। अब जयंत चौधरी की ओर से मीरापुर उपचुनाव की सियासी जंग के अंतिम क्षणों में पूर्व विधायक मिथलेश पाल पर ही भरोसा जताकर उनको मैदान में उतारा गया है। इसके साथ ही एक बार फिर से मिथलेश पाल के भाग्य ने जोर लगाया है, क्योंकि 2009 में मोरना विधानसभा सीट पर इसी क्षेत्र में हुए उपचुनाव में भी रालोद प्रत्याशी के रूप में वो मैदान उतरीं और विधायक बनीं थी। हालांकि रालोद की ओर से पूर्व सांसद राजपाल सैनी, सांसद चंदन चौहान की पत्नी यशिका चौहान, रामनिवासल पाल, अजीत राठी, अक्षय नागर, संदीप मलिक भी रालोद प्रत्याशी की लिस्ट में लगातार बने रहे।
तीन दशक की राजनीति में चार सियासी दलों का सफर
मुजफ्फरनगर। पूर्व विधायक मिथलेश पाल अपने तीन दशक के राजनीतिक सफर में चार बड़े सियासी दलों का सफर तय कर चुकी हैं। उन्होंने बसपा से अपनी राजनीति शुरू की और इसके बाद वो रालोद, सपा तथा भाजपा में पहुंची। मिथलेश पाल ने करीब 30 साल पहले बहुजन समाज पार्टी में आकर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। वर्ष 1995 में बसपा से जिला पंचायत सदस्य के रूप में उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा और जीतने के साथ ही राजनीतिक करियर शुरू किया था। इसके बाद वो रालोद में गई तो मोरना विधानसभा सीट से रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते कादिर राणा के साल 2009 में बसपा में चले जाने और बसपा द्वारा उनको मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर देने के बाद रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह ने उनको मोरना उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था।
इस चुनाव में मिथलेश पाल ने जीत दर्ज की और यूपी विधानसभा पहुंची थी। रालोद में रहकर उन्होंने चेयरमैनी का भी चुनाव लड़ा, लेकिन इसके बाद वो समाजवादी पार्टी में चली गई थी। साल 2017 के निकाय चुनाव में सपा ने उनको मुजफ्फरनगर पालिका में चेयरमैनी का टिकट देकर मैदान में उतारा था, लेकिन वो कांग्रेस प्रत्याशी अंजू अग्रवाल के मुकाबले पराजित हो गई थी। इसके बाद मिथलेश पाल सपा नेता गौरव स्वरूप के साथ 28 जनवरी 2022 को सपा छोड़कर भाजपा में चली गई और भाजपा से ही वो लगातार दावेदारी पेश करती रही हैं। अब भाजपा में रहते हुए ही एक बार फिर से उनका रालोद में जाने का रास्ता साफ हुआ और उनके भाग्य फिर से उनको उसी क्षेत्र के उपचुनाव में जनता के बीच लाकर खड़ा कर दिया, जहां वो ऐसी ही परिस्थितियों में करीब 16 साल पहले जनसमर्थन पाकर विधायक बनी थीं।