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कीर्ति भूषण प्रकरण में ईओ से निदेशक ने मांगे छह जवाब

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में इन दिनों रिटायर्ड लिपिक कीर्ति भूषण को नियम के खिलाफ क्वार्टर आवंटन करने के मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद में चल रहे केस को लेकर हलचल मची हुई है। इस मामले में पार्टी बनाये गये नगरीय निकाय निदेशालय के निदेशक ने अधिशासी अधिकारी से छह बिन्दुओं पर साक्ष्यों सहित आख्या तलब की है, ताकि उनके आधार पर वो प्रकरण में हाईकोर्ट द्वारा दिए गये आदेश के अनुपालन के सम्बंध में की गई कार्यवाही रिपोर्ट अपनी व्यक्तिगत पेशी के दौरान शपथ पत्र के रूप में दाखिल कर सकें। निदेशक का पत्र आने के बाद ईओ द्वारा आख्या तैयार करने के निर्देश दिए तो पालिका में पूरी हलचल मची नजर आई।

पालिका में लिपिक के पद पर कार्यरत रहे कीर्ति भूषण साल 2003 में सेवानिवृत्त हो गये थे। उनके द्वारा पहले पडाव और फिर पालिका परिसर टाउनहाल में आवासीय भवन का आवंटन अपने नाम करा लिया था। यह आवंटन उनके द्वारा आजीवन रूप से कराये जाने का दावा किया जाता रहा और पालिका से अपनी पेंशन राशि तथा अन्य देयकों का भुगतान भी लगातार मांगते रहे। पालिका की ओर से उनको देयकों का भुगतान करने से यह कहते हुए इंकार किया जाता रहा कि उनके द्वारा पालिका के भवन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है और इसका किराया भी नियमानुसार जमा नहीं कराया गया। इसके खिलाफ कीर्ति भूषण ने साल 2018 में हाईकोर्ट इलाहाबाद चले गये और याचिका दायर कर पालिका से उनके बकाया देय दिलाये जाने की गुहार लगाई। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और पालिका को आदेश जारी किये कि समस्त बकाया देय नौ प्रतिशत ब्याज के साथ कीर्ति भूषण को भुगतान किया जाये। इस आदेश पर लगातार सुनवाई चलती रही।

इसी बीच पालिका की ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने कीर्ति भूषण के खिलाफ अवैध अध्यासी होने और बकाया किराये को लेकर कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार को जांच सौंपी थी, जिसमें कीर्ति भूषण के दावे के अनुसार उनकी पेंशन आदि देयकों का भुगतान करने के उपरांत भी पालिका भवन के किराये के रूप में करीब 30 लाख रुपये पालिका का बकाया तय किया गया। इसके साथ ही उनको भवन का आजीवन आवंटन भी नियमों के विपरीत पाया गया। यही रिपोर्ट पालिका प्रशासन ने हाईकोर्ट में दायर की थी, जिसके आधार पर 07 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने कीर्ति भूषण को पालिका की सम्पत्ति पर अवैध अध्यासी मानते हुए भवन खाली कराकर बकाया किराये की वसूली करने के सख्त आदेश दिये। इसके अनुपालन में पालिका प्रशासन ने जनवरी में ही कीर्ति भूषण को नोटिस जारी किया और भवन खाली करा लिया गया। कोर्ट ने इस प्रकरण में नियमों के खिलाफ कीर्ति भूषण को भवन आवंटित किये जाने को लेकर नगर विकास विभाग के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई पर उपस्थित होने के भी आदेश दिये।

अब इस मामले में हाईकोर्ट में 10 मार्च 2025 को सुनवाई तिथि तय होने को देखते हुए नगर निकाय निदेशालय के निदेशक अनुज कुमार झा ने अपनी व्यक्तिगत पेशी होने को लेकर पालिका प्रशासन से छह बिन्दुओं पर जवाब मांगा है। निदेशक द्वारा ईओ से हाईकोर्ट के 07 जनवरी के आदेश के अनुपालन को लेकर की गई कार्यवाही पर इस मामले में पैरवी कर रही अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता मानिका आर्य द्वारा 19 फरवरी को लिखे गये पत्र के आधार पर आख्या मांगी है, ताकि वो हाईकोर्ट में व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत कर कार्यवाही से अवगत करा सकें। इसमें निदेशक की ओर से मुख्य रूप से पालिका ईओ से जिन छह बिन्दुओं पर आख्या मांगी है, उनमें कीर्ति भूषण को क्वार्टर आवंटन कब और किस अध्यक्ष या अधिशासी अधिकारी के कार्यकाल में हुआ उनके नाम सहित विवरण, आजीवन आवंटन किस नियम से किया और इसे करने के मामले में क्या कार्यवाही की गई, कीर्ति भूषण के सेवानिवृत्त होने के उपरांत भवन खाली कराने के लिए की गई कार्यवाही और उस दौर के अध्यक्ष व ईओ के नाम का विवरण, आवजीन आवंटन करने में कौन अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे, सेवानिवृत्त होने के उपरांत अवैध कब्जे को खाली कराने और 2003 से अब तक उन पर बकाया देयता की वसूली करने की कार्यवाही का विवरण और कीर्ति भूषण से भवन खाली कराया गया या नहीं, पर साक्ष्यों सहित विवरण मांगा गया है।

पालिका चेयरमैन और ईओ की भी होगी व्यक्तिगत पेशी

मुजफ्फरनगर। रिटायर्ड लिपिक कीर्ति भूषण से पालिका ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में जनवरी माह में भवन खाली तो करा लिया, लेकिन इसमें उनको आजीवन आवंटन करने का मामला पालिका प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। इसी को लेकर हाईकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी के साथ 07 जनवरी को आदेश दिया था, जिसमें पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को भी व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई पर तलब किया गया। पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि 07 जनवरी के हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में कीर्ति भूषण से पालिका परिसर में क्वार्टर खाली कराकर कर विभाग ने उस पर अपना कब्जा प्राप्त कर लिया है। मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होनी थी, लेकिन प्रयागराज महाकुंभ होने के कारण इसमें अगली तिथि 10 मार्च की तय हुई है। हाईकोर्ट ने प्रकरण में पालिकाध्यक्ष और स्वयं उनकी व्यक्तिगत पेशी तय करते हुए शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने के आदेश दिये हैं, जिसके लिए जवाब तैयार कराये जा रहे हैं। इसके साथ ही निदेशक नगर निकाय ने भी जिन बिन्दुओं पर आख्या मांगी है, उनको लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। सम्बंधित प्रकरण में व्यक्तिगत पेशी को लेकर पालिकाध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप को भी अवगत करा दिया गया है। 

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