मुजफ्फरनगर। जनपद में अपर जिलाधिकारी प्रशासन के पद पर साढ़े तीन साल की एक लंबी, यादगार और शानदार पारी खेलने के बाद पीसीएस अफसर नरेन्द्र बहादुर सिंह का आखिरकार गुरूवार देर शाम तबादला कर दिया गया। शासन ने उनको लखीमपुर खीरी जनपद में एडीएम वित्त एवं राजस्व के पद पर नई तैनाती दी है। अपने शांत स्वभाव और मृद व्यवहार के कारण यूपी-12 वालों के दिलों में खास जगह बनाने वाले एडीएम नरेन्द्र बहादुर सिंह भी मुजफ्फरनगर को अपने घर जैसा मानने लगे। उन्होंने अनेक कार्य किये, लेकिन आजादी के सात दशक बीतने के बावजूद भी आदिवासियों जैसे हालात में जीवन जी रहे हाजीपुरा गांव के लोगों के लिए वो भगवान स्वरूप बनकर आये और अब वहां के ग्रामीणों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़कर जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा गुरूवार को देर शाम 18 पीसीएस अफसरों के तबादले का आदेश जारी किया। इसमें मुजफ्फरनगर में तैनात एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह का नाम भी शामिल है। उनको लखीमपुर खीरी में एडीएम वित्त एवं राजस्व बनाया गया है। उनका तबादला होने की खबर मिलने के बाद शुक्रवार को लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर उनसे मुलाकात की और उनके जनपद में शानदार कार्यकाल को याद किया और बधाई दी। तबदला होने पर अक्सर अफसरों को काम छोड़ते हुए देखा जाता है, लेकिन एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह कार्यालय में जुटे नजर आये। सवेरे दस बजे से पहले ही वो एनआईसी में वीसी में शामिल थे, तो इसके बाद अपने कार्यालय में बैठक ली, लोगों की फरियाद सुनी, बैठकों का लम्बा दौर चला।
साढ़े तीन साल में घर जैसा हो गया मुजफ्फरनगर
नरेन्द्र बहादुर सिंह मूल रूप से जनपद देवरिया के निवासी हैं और वो साल 2011 बेच के पीसीएस अफसर हैं। जुलाई 2011 में प्रशासनिक सेवा में आए। उनको 23 अक्टूबर 2021 को मुजफ्फरनगर में एडीएम प्रशासन बनाया गया था और यहां साढ़े तीन साल का एक लंबा और यादगार कार्यकाल उन्होंने बिताया। इससे पहले वो फर्रुखाबाद, मऊ, कौशाम्बी और चित्रकूट जनपदों में डिप्टी कलक्टर रहे, गोरखपुर में उन्होंने सीएलओ के पद पर कार्य किया और मुरादाबाद में सिटी मजिस्ट्रेट रहे। यहां से उनको बदायूं में एडीएम वित्त एवं राजस्व के पद पर तैनात किया गया था और वहां से मुजफ्फरनगर तथा अब लखीपुर खीरी में तैनाती मिली है।
गांव हाजीपुरा को मुख्यधारा में लाकर चमकाया
एडीएम प्रशासन के पद पर रहते हुए पीसीएस अफसर नरेन्द्र बहादुर सिंह भोपा क्षेत्र के गांव हाजीपुरा का कायाकल्प करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जुटे रहे और गांव के विकास को ही वो अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। उनका कहना है कि जब वो इस गांव में पहुंचे तो वहां आदिवासी जैसा जीवन दिखाई दिया। फूंस के छप्पर वाली झोपड़ियां और मूलभूत सुविधाओं का टोटा था, न सड़क, न पानी-बिजली और न ही शिक्षा का कोई मुख्य साधन, ऐसा लगा कि मानो वो सदियों पीछे के जीवन में आ गए हों। उन्होंने ग्रामीणों से बात की और इस गांव को निखारने में जुट गये। नरेन्द्र बहादुर इसे भगवान की कृपा ही मानते हैं, जो वो इस गांव में सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा के साथ ही पथ प्रकाश और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा को विकसित कर ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधारने में सफल नजर आये। इसके लिए इस गांव के लोग उनको भगवान का स्वरूप मान रहे हैं, उनके तबादले से यह लोग दुखी हैं और खुश भी हैं, क्योंकि किसी ने आकर उनके दिल को छूने का काम किया और जीवन बदल गया।
वेस्ट टू एनर्जी लाये और बड़े चुनाव कराये
मुजफ्फरनगर में कूड़े से बिजली बनाने के वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट के विचार को एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह ने बंद फाइलों से बाहर निकाल धरातल पर लाने के लिए जद्दोजहद की। नगरपालिका में पंकज अग्रवाल के कार्यकाल में यह सपना संजोया गया था, लेकिन परवान नहीं चढ़ पाया। निवर्तमान डीएम चन्द्रभूषण सिंह के कार्यकाल में एडीएम प्रशासन नरेन्द्र इसमें जुटे और अब जल्द ही पालिका वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को वजूद में लाने जा रही है। एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह ने लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय के साथ ही उपचुनाव भी कराये, लेकिन ग्राम पंचायत चुनाव उनके आने से पहले हो गया था। चुनावी व्यवस्थाओं के लिए उनको निर्वाचन आयोग द्वारा सम्मानित भी किया गया। तीन कांवड़ यात्रा आयोजित कराने का उनका अनुभव भी बेजोड़ रहा। वो कहते हैं कि अब मुजफ्फरनगर अपना लगने लगा, यहां के लोग और मीडिया ने भरपूर साथ दिया, जिसे वो एक अमूल्य धरोहर के रूप में संजोकर अपने साथ ले जा रहे हैं।