मुजफ्फरनगर। लाख दावों और व्यवस्था के बावजूद भी शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं चढ़ पा रही है। ऐसे में शहर के चारों ओर कहीं से भी एंट्री ली जाये, वहीं पर गन्दगी स्वागत करती है। अब तो आलम यह है कि जिलाधिकारी के घर से निकलते ही गन्दगी नजर आ रही है। शहर के सबसे सुन्दर माने जाने वाले सरकूलर रोड की तस्वीर भी शहर से एकत्र की जा रही गन्दगी का राज होने के कारण बिगड़ रही है। सोमवार को दफ्तर जाने के लिए जिलाधिकारी घर से निकले तो सरकूलर रोड पर करीब एक किलोमीटर तक गन्दगी का आलम देखा, इस गन्दगी में मरे हुए पशु और पक्षियों के कारण बदबू असहनीय थी। डीएम ने यह देखकर पालिका ईओ को फोन लगाकर जवाब तलब किया तो सिस्टम हरकत में आया। ईओ ने दिल्ली की कंपनी के लोगों की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई तो तत्काल ही सरकूलर रोड को साफ करने के लिए कंपनी ने टीम को फील्ड में उतार दिया। इसके साथ ही ईओ ने स्पष्ट निर्देश दिये कि सरकूलर रोड पर गन्दगी या कूड़ा-करकट नहीं डाला जायेगा। इसके लिए विकल्प की तलाश भी शुरू कर दी गई।
दरअसल, नगरपालिका परिषद् ने शहर के कूड़ा डलावघरों से प्रतिदिनि कूड़ा उठान और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए दिल्ली की कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एंड फैसिलिटीज प्रा. लि. को ठेका दिया है। 14 महीने के एग्रीमेंट के लिए पालिका कंपनी को करीब 13 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। इसके लिए पालिका ने कंपनी को वाहन और अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराये हैं। कंपनी ने 16 फरवरी से विधिवत अपना काम भी शुरू कर दिया है। ऐसे में शहर की गन्दगी साफ होने के बजाये समस्या और बढ़ रही है। अभी तक सरकूलर रोड पर स्थिति सामान्य थी, लेकिन कंपनी ने शाकुंतलम आवास विकास कालोनी के पास गन्ना शोध संस्थान की दीवार के सहारे अपना ट्रांसफर स्टेशन बना लिया, इसके साथ ही यहां शहर भर का कूड़ा एकत्र किया जाने लगा। जितना कूड़ा उठता उससे ज्यादा यहां पर सड़क पर ही डाला गया। इससे यहां गन्दगी का अम्बार हो गया।
सरकूलर रोड को शहर को वीआईपी रोड भी माना जाता है। यह शहर को जीटी रोड और फिर हाईवे से जोड़ने वाला है। यहां से ही जिले के आला अफसरों का आवागमन रहता है। जिलाधिकारी भी इसी रास्ते से अपने कलेक्ट्रेट स्थिता दफ्तर आते जाते हैं। सोमवार को जब वो अपने घर से दफ्तर जाने के लिए निकले तो सरकूलर रोड पर करीब एक डेढ़ किलोमीटर के दायरे में उनको भयंकर गन्दगी का आलम बना नजर आया। इस कूड़े में मरे हुए जानवर और पक्षियों के शव भी सड़ रहे थे। ये नजारा देखकर खफा हुए जिलाधिकारी ने पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह को फोन लगाया और सरकूलर रोड के हालात बताते हुए नाराजगी जताई तो पूरा सिस्टम ही हरकत में आ गया। डीएम के फोन के बाद ईओ पालिका ने कंपनी के अधिकारियों को तलब कर दिया और कार्यप्रणाली को लेकर कड़ी नाराजगी जताई। कंपनी के एमडी कमलजीत और परियोजना प्रबंधक पुष्पराज ने ईओ कार्यालय पहुंचकर अपनी बात रखी। बताया गया कि कंपनी ने सरकूलर रोड पर अपना ट्रांसफर स्टेशन बना लिया है। इसको लेकर ईओ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इसके लिए दूसरा स्थान तलाशा जाये और वहां से तत्काल सफाई कराकर कूड़ा हटवाया जाये।
ईओ प्रज्ञा सिंह ने बताया कि कूड़ा निस्तारण में लगी कंपनी के द्वारा सरकूलर रोड पर अपना ट्रांसफर स्टेशन बना लिया था, इसकी जानकारी पालिका को नहीं दी गई। इसी कारण वहां पर करीब एक किलोमीटर के दायरे में कूड़ा और गन्दगी का अम्बार होने के कारण डीएम ने सफाई के लिए निर्देशित किया था। कंपनी के लोगों को आज ही कूड़ा हटवाने और सरकूलर रोड पर कहीं पर भी कूड़ा-करकट एकत्र नहीं कराने के निर्देश दिये गये हैं। मुख्य मार्ग से हटकर कहीं भी कंपनी अपना ट्रांसफर स्टेशन बना सकती है। हमारी प्राथमिकता शहर को स्वच्छ और सुन्दर बनाने की है। ऐसे में कंपनी मनमाने ढंग से काम करेगी तो शहर गन्दगी का ढेर बन जायेगा। वहीं कंपनी के एमडी कमलजीत ने कहा कि सरकूलर रोड का चयन फील्ड के कर्मियों ने गलती से कर लिया था। आज ही ईओ के आदेश पर उसे बंद करा दिया गया है। टीम को लगाकर सफाई कराई गई है।