मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में क्लेरिकल मिस्टेक के नये नये मामले सामने आ रहे हैं। इस एक बहाने के सहारे बड़े-बड़े खेल खेले गये हैं। किसी को आवश्यकता से ज्यादा स्थानों की स्वीकृति दे गई तो कभी जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण प्रकरणों को उलझा दिया गया। लिपिकों की इन त्रुटियों को सुधारने के लिए चेयरपर्सन को पालिका बोर्ड के साथ मिलकर काम करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक ओर मामला सामने आया है। इसमें क्लेरिकल मिस्टेक की एक जीरो ने पालिका के 50 लाख रुपये फंसाकर रख दिये हैं। पार्टी पालिका को 50 लाख रुपये का भुगतान करने को तैयार है, लेकिन बोर्ड मीटिंग में पारित प्रस्ताव में पार्टी को 05 करोड़ रुपये का बकायादार दर्शा दिया गया। इसी एक गलती के कारण अब पालिका प्रशासन को बोर्ड में प्रस्ताव लाकर संशोधन कराने के लिए तैयारी करनी पड़ रही है।
नगरपालिका परिषद् की मार्किट में किरायेदार व्यापारियों और आवंटियों से किराया बढ़ोतरी और प्रीमियम राशि तय करते हुए पालिका की आय बढ़ाने और पुराने किरायेदारी के मामलों का निपटारा करने के लिए पूर्व पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के कार्यकाल में तेजी से काम किया गया था। इसके लिए मार्किट के किरायेदारों को आवंटित दुकान का किराया और प्रीमियम राशि पैमाइश के बाद तय किये गये थे। इसके बाद इस प्रस्ताव को 10 नवम्बर 2020 की बोर्ड बैठक में पारित करा दिया गया था। इसी प्रस्ताव में पालिका की गोल मार्किट के आवंटी दुकानदार और दूसरी पार्टियां भी शामिल रहीं। इनमें गोल मार्किट की ऊपरी मंजिल पर चल रही पंजाब नैशनल बैंक की शिव चौक शाखा भी शामिल रही। यह शाखा पालिका के भवन में किराये पर चल रही है। इसके लिए बोर्ड बैठक में किराया 50728 रुपये तय किया गया और प्रीमियम राशि 05 करोड़ रुपये तय कर दी गई। पूरा प्रस्ताव बोर्ड में पारित हुआ तो इसके बाद पीएनबी से किराया और प्रीमियत राशि वसूलने के लिए पालिका प्रशासन ने कार्यवाही की और नोटिस भेजा गया तो पीएनबी के शाखा प्रबंधक 05 करोड़ रुपये का बकाया होने की जानकारी मिलने पर हतप्रभ रह गये। दोबरा से गणना कराई गई तो प्रीमियम राशि 05 करोड़ के बजाये 50 लाख रुपये की निकली। अब यहीं पर सारा प्रकरण उलझ कर रह गया।
दरअसल, गोल मार्किट में पीएनबी को भवन लीज पर किराये पर दिया गया है। इसके लिए जनवरी 2016 में पीएनबी गोल मार्किट के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक राजकुमार कौशिक ने पालिका प्रशासन के साथ आगामी चार वर्षों के लिए 50728 रुपये मासिक किराये पर किराया लीज का अनुबंध किया था। दिसम्बर 2020 में यह किराया लीज खत्म होने के बाद साल 2021 में पालिका प्रशासन ने पीएनबी को लीज का नवीनीकरण कराने, किराया बढ़ोतरी और प्रीमियम राशि का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया था। इसी नोटिस में नवम्बर 2020 में पारित प्रस्ताव में तय प्रीमियत 05 करोड़ की जानकारी पीएनबी को दी गई। इसके बाद मार्च 2023 में पीएनबी गोल मार्किट शाखा के ब्रांच मैनेजर ने ईओ के नाम पत्र जारी करते हुए 05 करोड़ की प्रीमियत राशि तय करने पर ऐतराज जताया तो सारी पोल खुली।
पालिका की आय बढ़ाने के लिए चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने बकायादारों से वसूली के लिए निर्देश दिये तो ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बड़े बकायादारों और मार्किट के किरायादारों के प्रकरणों को टटोलना शुरू किया तो उनके सामने पीएनबी के इस प्रकरण का भी खुलासा हुआ। 05 करोड़ के प्रीमियम को लेकर उनके द्वारा जांच पड़ताल कराई गई तो पता चला कि क्लेरिकल मिस्टेक से एक जीरो ज्यादा लगने के कारण बोर्ड में 50 लाख के बजाये 05 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पारित हो गया, इसमें बताया गया कि यह प्रस्ताव जिस लिपिक ने तैयार किया, वो रिटायर्ड हो चुका है। उसको बुलाकर छानबीन की गई तो क्लेरिकल मिस्टेक बताकर पल्ला झाड़ लिया गया। उन्होंने सारे मामले की जानकारी चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप को दी तो उन्होंने भी इसे गंभीरता से लेते हुए नाराजगी जताई। बताया गया कि पीएनबी प्रीमियम राशि के तहत 50 लाख रुपये पालिका को जमा कराने के लिए तैयार है, लेकिन 05 करोड़ देने में असमर्थता जता दी गई है। बताया गया कि पीएनबी गोल मार्किट शाखा के द्वारा मार्च 2023 तक का किराया अण्डर प्रोस्टेट पालिका को जमा कराया जा चुका है। अब मामला फिर से बोर्ड की ओर धकेल दिया गया है।
पालिका ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि ये सारा प्रकरण उनके चार्ज से पहले का है। हम किरायेदारों के साथ मामले निस्तारण के लिए आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह प्रकारण काफी गंभीर है। चेयरपर्सन को मामले की जानकारी दी गई है। उनके निर्देश पर समाधान खोजा जा रहा है। इसके केवल क्लेरिकल मिस्टेक बताकर पल्ला झाड़ लिया गया है, जो लिपिक प्रस्ताव बनाने में थे, वो रिटायर्ड हो चुके हैं। इसके लिए कर अधीक्षक नरेश शिवालिया को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं। राजस्व निरीक्षक पारूल यादव से भी मामले में रिपोर्ट तलब की गई है।