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MUZAFFARNAGAR-गंभीर जांच में फंसे पालिका के बड़े बाबू पर गिरी गाज, चेयरपर्सन ने हटाया

मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में पहले ही दिन से भ्रष्टाचार और अनियमितता जैसे मामलों को लेकर जीरो टोलरेंस नीति पर काम कर रही पालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने उनके कार्यकाल में सभासदों की गहरी नाराजगी के बावजूद भी कई बार अभयदान पा चुके पालिका के कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक ;बड़े बाबूद्ध ओमवीर सिंह के खिलाफ आखिरकार बड़ो एक्शन ले ही लिया। बड़े बाबू ओमवीर सिंह के खिलाफ गंभीर वित्तीय अनियमितता और नियमों के विपरीत प्रोन्नति पाने, अपनी सर्विस बुक और पालिका की कुछ महत्वपूर्ण पत्रावलियों को अपने घर ले जाकर रखने जैसे अन्य आरोपों में डीएम स्तर से कराई जा रही जांच को लेकर चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कार्यवाही करते हुए उनको मुख्य कार्यालय के कार्यालय अधीक्षक के पद से हटा दिया है। वो निर्माण विभाग में एक लिपिक के पद पर फिलहाल काम करते रहेंगे। उनके स्थान पर राजस्व निरीक्षक पारूल यादव को चेयरपर्सन ने मुख्य कार्यालय में प्रभारी कार्यालय अधीक्षक का अतिरिक्त काम भी सौंपा है। बड़े बाबू के खिलाफ आदेश जारी होने के साथ ही पालिका में हलचल मच गई।

संपत्ति नामांतरण के मामले में करीब दस महीनों से शासन के आदेशानुसार कार्यवाही के तहत निलंबित चल रहे पालिका के लिपिक मनोज पाल ने की शिकायत के बाद शासन ने 13 मार्च 2024 को नगरीय निकाय निदेशालय लखनऊ के निदेशक को पत्र लिखकर पालिका के कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक ओमवीर सिंह के खिलाफ घोर वित्तीय अनियमितता बतरने के आरोपों में जांच कराकर सेवा से निलम्बित करने और बरती गई अनियमितता में हुई वित्तीय क्षति की वेतन से वसूली कराने की भी मांग की थी। इसके साथ ही सभासद राजीव शर्मा और मनोज वर्मा ने भी ओमवीर सिंह के खिलाफ जिला प्रशासन और शासन को शिकायत भेजकर अनियमितता के आरोप लगाते हुए पद से हटाने और जांच कराने की मांग की थी। इसके साथ ही पालिका के कुछ अन्य सभासदों ने भी बड़े बाबू की कार्यप्रणाली के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए उनके खिलाफ मोर्चाबंदी भी कर रखी थी। पूर्व में सभासदों के द्वारा की गई शिकायत का संज्ञान लेकर उनको पालिका से तहसील निर्वाचन कार्यों के लिए भेजा गया था, लेकिन अपनी जोड़तोड़ की सियासत के सहारे ओमवीर सिंह इस पैंतरे को फेल करने में सफल हो गये थे और अपनी कुर्सी पर काबिज रहे। इसके बाद भी उनके खिलाफ मोर्चाबंदी बंद नहीं हुई, लेकिन अब जबकि शासन स्तर से उनके खिलाफ जांच प्रचलित हो गई तो चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने पीएम मोदी और सीएम योगी की भ्रष्टाचार और अनियमितता के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति को कायम रखते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की है।

पालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कार्यालय आदेश जारी करते हुए मुख्य कार्यालय तथा प्रशासनिक दृष्टिकोण के आधार पर कर विभाग में राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत पारूल यादव को मुख्य कार्यालय में प्रभारी कार्यालय अधीक्षक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। पारूल यादव को आदेशित किया गया है कि वो आदेश के अनुपालन में तत्काल मुख्य कार्यालय में कार्यालय अधीक्षक के पटल पर योगदान आख्या अधिशासी अधिकारी के माध्यम से उनको प्रस्तुत करेंगी। पारूल की नियुक्ति के साथ ही कार्यालय अधीक्षक पद पर ओमवीर सिंह का पत्ता साफ हो गया है। वो फिलहाल निर्माण विभाग में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं। ओमवीर सिंह की तहसील सदर से पालिका में वापसी होने पर 03 नवम्बर 2022 को तत्कालीन ईओ हेमराज सिंह ने मुख्य कार्यालय में कार्यवाहक कार्यालय अधीक्षक के साथ ही निर्माण विभाग में मुख्य लिपिक के रूप में तैनात किया, जहां पर वो वर्तमान में कार्य कर रहे हैं। जबकि निर्माण विभाग में ही अनियमितता बरतने के मामले में उनके खिलाफ शासन से जांच चल रही है। ऐसे में उनके निर्माण विभाग में कार्यरत रहने पर भी कुछ सभासदों ने ऐतराज जताया है।

ओमवीर सिंह के खिलाफ लटकी जांच, एडीएम ने भेजा रिमाइंडर

मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् में बड़े बाबू के पद से हटाये गये निर्माण विभाग के लिपिक ओमवीर सिंह के खिलाफ शासन के आदेश पर जांच की कार्यवाही को शिथिल करने और ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए निलंबित लिपिक मनोज पाल की शिकायत का संज्ञान लेकर एडीएम प्रशासन ने पालिका अधिशासी अधिकारी को रिमाइंडर भेजकर जांच की स्थिति की जानकारी तलब की है।

पालिका कर्मी मनोज पाल द्वारा शासन को आठ बिन्दुओं पर ओमवीर सिंह के खिलाफ शिकायत करते हुए जांच की मांग की गई थी। मनोज पाल द्वारा आरोप लगाया गया कि ओमवीर सिंह की नियुक्ति वर्ष 1988 में पालिका में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में मीटर रीडर तकनीकी संवर्ग में हुई थी। बिना डीपीसी के विभागीय सीनियर लिस्ट को नजरअंदाज करते हुए ओमवीर ने अपना प्रमोशन लिपिकीय संवर्ग ग्रेड-2 में करा लिया था। जो गंभीर प्रकरण है। 14वें वित्त आयोग से नलकूपों पर 19 जनरेटरों को सुरक्षित रखने के लिए कक्षों का निर्माण के लिए 28 लाख 93 हजार 814 का बजट स्वीकृत किया गया था। संबंधित ठेकेदार द्वारा कक्षों का निर्माण नहीं कराया गया, ओमवीर सिंह जोकि उन दिनों निर्माण विभाग में लिपिक के रूप में कार्यरत थे, ने ठेकेदार से साज खाकर उनको जमानत राशि वापस करा दी और पत्रावली भी निर्माण विभाग से गायब करा दी गई। अपनी अवैध नियुक्ति को छिपाने के लिए ओमवीर ने अपनी व्यक्तिगत सेवा पत्रावली भी विभाग से गायब कराकर अपने कब्जे में रखी हुई है।

इस मामले में डीएम ने शासन के आदेश पर ईओ पालिका डॉ. प्रज्ञा सिंह को एक सप्ताह में जांच पूरी कर आख्या देन के निर्देश दिये थे। मनोज ने अब फिर से डीएम से मिलकर शिकायत की है कि ओमवीर सिंह के खिलाफ जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। शिकायतकर्ता होने पर भी उनको जांच अधिकारी ने तलब नहीं किया है। जबकि 27 अपै्रल को ईओ ने इस मामले में एई निर्माण अखंड प्रताप सिंह को जांच अधिकारी नामित किया था। अब करीब एक माह होने जा रहा है, जो जांच एक सप्ताह में पूर्ण होनी थी, वो इस अवधि तक भी अधूरी है। मनोज की शिकायत पर एडीएम प्रशासन नरेन्द्र बहादुर सिंह ने ईओ पालिका को रिमाइंडर भेजकर जांच की अद्यतन स्थिति की जानकारी तलब की है। 

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