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MUZAFFARNAGAR-कांवड़ यात्रा में गुड्डू, मुन्ना, छोटू और फत्ते की सियासी एंट्री

मुजफ्फरनगर। एसएसपी अभिषेक सिंह के द्वारा कांवड़ यात्रा के दौरान जनपद में करीब 240 किलोमीटर लम्बे कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल, ढाबों, फल और सब्जी तथा अन्य खाद्य पदार्थ और सामग्री बेचने वाले ठेला कर्मियों को अपने नाम के बोर्ड लगाये जाने के आदेश दिये जाने पर देश में सियासी माहौल गरमाने लगा है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन औवेसी के द्वारा मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर टिप्पणी कर इसे हिटलरशाही बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई गई तो वहीं अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और फिल्मी दुनिया के कहानीकार तथा गीतकार जावेद अख्तर ने भी इसे जर्मनी की नाजी व्यवस्था और सामाजिक अपराध बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की आवाज बुलंद की है। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस पुलिसिया आदेश को सौहार्द्र बिगाड़ने वाला बताया है। तीनों लोगों ने एक्स पर मुजफ्फरनगर पुलिस के इस आदेश को लेकर पोस्ट कर कड़ी नाराजगी जताई है। इसके साथ ही देशभर में इसके लिए एक नई सियासी बहस छिड़ गई है।

एसएसपी अभिषेक सिंह ने पिछले दिनों मीडिया में बयान दिया था कि कांवड़ यात्रा के दौरान जनपद के करीब 240 किलोमीटर लम्बे कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले होटल-ढाबों और ठेले लगाकर खाद्य पदार्थ एवं सामग्री बेचने वाले लोगों तथा अन्य दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठान पर अपने तथा अपने कर्मचारियों के नामों का बोर्ड लगाना होग। इस आदेश के पीछे एसएसपी ने यह कारण बताया था कि कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्त कांवड़ियों को दुकानदार का नाम पता होगा तो भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी और विवाद की संभावना को कम किया जा सकेगा। पुलिस द्वारा इसके लिए कांवड़ मार्ग पर स्थित होटल और ढाबों पर चैकिंग अभियान भी चलाया था, जिसमें गैर सम्प्रदाय के लोग हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर होटल चलाते मिले थे। इसके बाद कांवड़ मार्ग पर फल आदि बेचने वाले कुछ लोगों ने अपने ठेले पर अपने नाम का पोस्टर लगाना शुरू कर दिया था। इनमें अधिकांश मुस्लिम होने के कारण सियासी गरमाहट पैदा हो गयी है।

बीते दिन एआईएमआईएम के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन औवेसी ने एक्स पर टिप्पणी करते हुए इसका विरोध किया था। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और इस पर सियासी बहस शुरू हो गई है। इसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असद्उद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर पलटवार किया है तो सपा मुखिया अखिलेश यादव और गीतकार जावेद अख्तर ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए टिप्पणी की है। असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबोयकोट था।

औवेसी की यह टिप्पणी अभी चर्चाओं में ही बनी हुई थी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा जारी किए गए आदेश को सामाजिक अपराध बताते हुए कोर्ट को ऐसे मामलों का स्वतः संज्ञान लेने के साथ ही जांच करवाकर दंडात्मक कार्रवाई करने की आवाज बुलंद की है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर जारी किए गए फरमान में कहा है कि सभी दुकानदार दुकान के बाहर अपना नाम जरूर लिखें। अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे आदेश सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं। उन्होंने सोशल साइट एक्स पर कहा कि …और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वतः संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।

वहीं इस मामले को लेकर गीतकार जावेद अख्तर भी कूद गए हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मुजफ्फरनगर यूपी पुलिस ने निर्देश दिया है कि निकट भविष्य में एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम के मार्ग पर सभी दुकानों, रेस्टॉरेंट्स और यहां तक कि वाहनों पर मालिक का नाम प्रमुखता से और स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। क्यों? नाजी जर्मनी में वे केवल विशेष दुकानों और घरों पर ही निशान बनाते थे।

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर इसे सौहार्द्र बिगाड़ने वाला कदम बताया है। मायावती ने एक्स पर की पोस्ट में कहा कि पश्चिमी यूपी व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा रूट में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश यह गलत परम्परा है जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरन्त वापस ले। इसके साथ ही मायावती ने बीएसए के आदेश पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि इसी प्रकार, यूपी के संभल जिला प्रशासन द्वारा बेसिक सरकारी स्कूलों में शिक्षक व छात्रों को कक्षा में जूते-चप्पल उतार कर जाने का यह अनुचित आदेश भी काफी चर्चा में है। इस मामले में भी सरकार तुरन्त ध्यान दे।

बता दें कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर लाखों कांवड़िये मुजफ्फरनगर से गुजरते है।। ऐसे में दिल्ली देहरादून हाईवे पर जनपद में होटल और ढाबे हैं, इनमें गैर सम्प्रदाय के लोगों के भी होटल यहां पड़ते हैं, इन पर प्रोपराइटर और कर्मचारियों के नामों के बोर्ड लगाने के आदेश पुलिस ने दिये हैं। जनपद की सीमा पुरकाजी के गांव भूराहेड़ी चेकपोस्ट से खतौली के भंगेला व बुढ़ाना, फुगाना, तितावी थानों की सीमा तक जिले में कांवड़ यात्रा का मार्ग 240 किमी है। अब इसको लेकर सियासी स्तर पर मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ जुबानी जंग तेज होने से अनेक सवाल उठने लगे हैं। सवाल यही है कि होटल और ढाबों पर नाम के बोर्ड लगाने तक के आदेश सही थे, लेकिन ठेले वालों के भी नाम के पोस्टर लगवाने में पुलिस का सक्रिय होना ही विवाद की जड़ बन गया है। ऐसे में जिनके नाम सोनू या गुड्डू हैं तो नाम से उनके धर्म की पहचान कैसे हो पायेगी। 

औवेसी-अखिलेश को मुजफ्फरनगर पुलिस का जवाब, जबरदस्ती नहीं की, स्वेच्छा से मांगा सहयोग

मुजफ्फरनगर। सांसद ओवैसी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पोस्ट पर मुजफ्फरनगर पुलिस ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिये जवाब दिया है। इसमें विरोध के बाद पुलिस की ओर से यह साफ किया गया है कि होटल ढाबों और ठेलों पर अपने नाम के बोर्ड या पोस्टर लगाने के लिए किसी को फोर्स नहीं किया गया है, यह स्वेच्छा से करने के लिए कहा गया है।

एसएसपी अभिषेक सिंह के आदेशों और बयान के विरोध के बाद मुजफ्फरनगर पुलिस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जारी संदेश में कहा गया है कि श्रावण कांवड़ यात्रा के दौरान सीमावर्ती राज्यों से पश्चिम उत्तर प्रदेश से होते हुए लाखों कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर मुजफ्फरनगर से होकर जाते है। कांवड़िए अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके है, जहां कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िए भ्रमित हो जाते हैं और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है। इस प्रकार की पुनरावृत्ति को रोकने और श्र(ालुओं की आस्था को देखते हुए होटल, ढाबे और खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वह स्वेच्छा से अपने मालिक और दुकान पर काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें। इस आदेश का आशय किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं है। यह व्यवस्था पूर्व में प्रचलित है।

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