खतौली। ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण पर्व ‘गुड फ्राइडे’ के अवसर पर ऐपीफैनी चर्च, सी.एन.आई., खतौली में पवित्र आराधना आयोजित की गई। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चली इस आराधना की अगुवाई चर्च के पादरी सुशील कुमार ने की। गुड फ्राइडे ईसा मसीह के बलिदान को स्मरण करने का दिन है, जब उन्होंने समस्त मानव जाति के पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। आराधना का आरंभ भक्ति गीतों से हुआ, जिनमें “तेरी शीरीन आवाज”, “यीशु ने अपना खून बहाकर”, “जो क्रूस पर कुर्बान है”, “छोड़ न मुझे प्यारे यीशु” एवं “रख तू मुझको क्रूस के पास” जैसे गीतों ने वातावरण को भावविभोर कर दिया। बाइबल का पाठ आकांक्षा एवं बाबरा बहन ने किया, जबकि लूक, अभिषेक और ज्योति ने प्रार्थनाएं कीं। पादरी सुशील कुमार ने प्रभु यीशु मसीह की सात वाणियों पर आधारित उपदेश दिया। उन्होंने विस्तार से बताया कि क्रूस पर चढ़ते समय जब यीशु के हाथों-पैरों में कील ठोकी गई और सिर पर काँटों का ताज पहनाया गया, तब भी उन्होंने मानवता के लिए क्षमा, प्रेम और त्याग का संदेश दिया। उनकी सात वाणियाँ—“पिता, इन्हें क्षमा कर”, “आज ही तू स्वर्गलोक में होगा”, “हे नारी, यह तेरा बेटा है”, “हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ा?”, “मैं प्यासा हूँ”, “सब कुछ पूरा हुआ” और “मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ”—एक सच्चे ईश्वरदूत के स्वरूप को प्रकट करती हैं। पादरी सुशील कुमार ने अपने संदेश में कहा कि प्रभु यीशु ने जो सत्य, प्रेम, क्षमा और बलिदान का मार्ग दिखाया, वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि हमें अपने पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों में पवित्रता, दया और उदारता को अपनाना चाहिए।
साकेत में बनेगा भव्य मंदिर, भूमि पूजन में उमड़े भक्तजन
श्रीराम सेवा ट्रस्ट द्वारा भव्य मंदिर निर्माण के लिए किया कार्यक्रम, मंत्री कपिल देव व चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने रखी आधारशिला मुजफ्फरनगर। साकेत कॉलोनी में श्रीराम सेवा ट्रस्ट द्वारा प्रस्तावित भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत सोमवार को भूमि पूजन के साथ हुई। सैकड़ों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक और धार्मिक अवसर के साक्षी बने। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं नगर विधायक कपिल देव अग्रवाल, नगर पालिका अध्यक्षा मीनाक्षी स्वरूप ने भूमि पूजन कराया। मंत्री कपिल देव ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि यह भूमि पूजन न केवल मंदिर निर्माण की आधारशिला माना जा रहा है, बल्कि धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक चेतना