मुजफ्फरनगर। अगर मन से ठान लिया जाये तो विपरीत परिस्थितयों को भी अनुकूल बनाकर परिणाम पाया जा सकता है, ऐसा ही कुछ नजारा आज शहर के जिला अस्पताल के पास स्थित नगरपालिका के एक कूड़ा डलावघर का है, कई साल से कूड़ा घर बन्द कराने की मांग उठाई जा रही थी, इसके लिए कई पहल हुई, प्रशासन जुटा, चेयरपर्सन भी प्रयासों में लगी और जिला अस्पताल के अधिकारी भी लोगों को जोड़ने के लिए सड़कों पर उतरे, लेकिन लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद भी नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा, लेकिन पालिका की पहली महिला अधिशासी अधिकारी प्रज्ञा सिंह ने अपने करीब 11 दिन के कार्यकाल में ही सूरत ए हाल बदलने का काम कर दिखाया। उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण आज जिला अस्पताल का कूड़ा डलाव घर लोगों को स्वच्छता के प्रति एक कदम आगे बढ़ाकर अपने शहर को सुन्दर बनाने का संदेश देकर इस मुहिम में सकारात्मक सोच के साथ भागीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है। भले ही इसके लिए पालिका के सफाई कर्मियों को खुद सीसीटीवी बनकर डलाव घर को स्वच्छ रखने के लिए 24 घंटे निगरानी करनी पड़ रही हो। सर्द रात में सफाई कर्मी ने रात के अंधेरे में कूड़ा करकट रोकने के लिए यहां पर डेरा जमा लिया है और बोरिया बिस्तर लेकर पहरेदारी की जा रही है।
शहर में स्वच्छता के पैमाने पर कई चुनौतियों का सामना नागरिकों के साथ ही नगरपालिका परिषद् को भी करना पड़ रहा है। यही कारण है कि अभी तक भी स्वच्छता सर्वेक्षण में मुजफ्फरनगर शहर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाया है, जबकि इस शहर को स्वच्छता रैकिंग में ऊपर लाने के लिए खुद यहां नगर विकास मंत्री को भी अलख जगाने के लिए आना पड़ा। शहर को कूड़ा करकट और गन्दगी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कागजी तौर पर कई बार फुल पु्रफ प्लान भी बनाये गये, लेकिन यह केवल कागजी ही साबित हुए। शहर को स्वच्छ बनाने की पालिका प्रशासन की मुहिम में न तो तकनीकी उपयोग काम आ सके और न ही पालिका की मैन पाॅवर ने कोई कारनामा कर दिखाया। बल्कि जितने साधन और संसाधन पालिका ने स्वच्छता के पैमाने पर निखरने के लिए जुटाये या चलाये, उतना ही नम्बर घटते चले गये। इसमें सबसे बड़ी चुनौती कूड़ा निस्तारण की है। इसके लिए पालिका की मौजूदा अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने डोर टू डोर कूड़ा कलैक्शन का बड़ा निर्णय लिया और 55 वार्डों में दिल्ली की कंपनी को काम पर लगाया है, हालांकि उसको लेकर भी विवाद खड़ा कर दिया गया, लेकिन काम जारी है। इसमें दूसरी चुनौती मुख्य मार्गों पर बने कूड़ा डलाव घर भी हैं। इनके कारण शहर से गुजरने वाला हर व्यक्ति यहां की गन्दगी से रूबरू होता रहा है।
करीब 11 दिन पहले पालिका की पहली महिला ईओ के रूप में कार्यभर ग्रहण करने वाली प्रज्ञा सिंह के साथ भी ऐसा ही कुछ अनुभव पेश आया। वो शहर में निकली तो कई मुख्य सड़कों पर बने कूड़ा डलावघरों से निकला कूड़ा सड़कों तक फैला रहा। इसमें जिला अस्पताल रुड़की रोड और सिटी सैंटर के सामने मेरठ रोड के कूड़ा डलाव घरों की हालत सबसे ज्यादा दयनीत बनी रहती थी। इसको लेकर करीब एक सप्ताह पूर्व ईओ प्रज्ञा सिंह ने मुख्य मार्गों के कूड़ा डलाव घरों को बंद कराने का निर्णय लिया और तेजी से इस पर काम शुरू कराया गया। इसमें सबसे पहले जिला अस्पताल के डलावघर पर काम हुआ। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अतुल कुमार ने यहां पर कूड़ा रोकने के ईओ के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए दिन रात सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई तो नतीजा भी सोने पर सुहागा वाला रहा। एक सप्ताह पूर्व जो डलाव घर गन्दगी का परिचय देकर बदहाल व्यवस्था की बानगी बना था, आज वो स्थान गांधी जी के स्वच्छ भारत अभियान का संदेशवाहक बना नजर आ रहा है, अल्प समय में इस सफलता के पीछे ईओ प्रज्ञा सिंह की दृढ़ इच्छा शक्ति, चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप का जनहित के प्रति समर्थन और सफाई कर्मियों का ड्यूटी के प्रति समर्पण की त्रिवेणी का संगम मुख्य कारण बना है।
बुधवार की सुबह इस डलाव घर का नजारा भी लोगों को प्रभावित करने वाला रहा। यहां से निकले लोगों ने देखा की जहां कूड़ा और गन्दगी की भरमार रहती थी, वहां की दीवारों से नागरिकों को स्वच्छता की ओर कदम बढ़ाने का प्रेकर संदेश दिया जा रहा है। गन्दगी में लिपटी ये दीवारें आज स्वच्छ और सुन्दर प्रतीत हो रही थी। इन दीवारों के नीचे दो साइड में लोगों के बैठने के लिए पालिका की बैंच शहर को सुन्दर बनाने का आमंत्रण दे रही हैं। वहीं बैंच की बराबर में दीवार की ओट में खुले आसमान के नीचे एक पलंग पर रजाई ओढ़कर एक आउस सोर्स कर्मचारी खुली आंखों से सीसीटीवी बनकर इस डलाव घर की निगरानी कर रहा है, पलंग की बराबर में उसकी झाड़ू रखी है तो पलंग के नीचे एक बोतल में पानी भरा रखा है। अपने बिस्तर में लिपटा बैठा युवक पालिका का आउटसोर्स सफाई कर्मचारी विशाल कुमार है। विशाल ने पूछने पर बताया कि उसकी ड्यूटी वार्ड 44 के अन्तर्गत है और यह डलाव घर उसी वार्ड में आता है। इसलिए उसको यहां निगरानी के लिए लगाया गया है, ताकि यहां पर कोई कूड़ा व गन्दगी न डाल सके। विशाल ने बताया कि उसने मंगलवार को दिन में ड्यूटी की, दूसरा कर्मचारी नहीं आया तो उसको रात्रि में ही यहां ड्यूटी के लिए रूकना पड़ा। सर्दी होने के कारण उसने घर से पलंग लाकर यहां बिछा लिया और आधी रात तक जागने के बाद वो सो गया था। अब दूसरे कर्मचारी ड्यूटी पर आयेंगे तो वो घर जाकर आराम करेगा। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिला अस्पताल डलाव घर को ईओ के आदेश पर बन्द कराकर वहां पर सौन्दर्यकरण का कार्य कराया जा रहा है। यहां अभी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगने के कारण दिन रात चैकसी के लिए सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगी है। जल्द ही सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जायेगा।